तेरी याद में

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मेरी ख्वाहिशों के दबे हुए अल्फाज़ कुछ यूँ निकलते हैं
जज़्बातों की आँच पर रखे दिए फिर जल उठते हैं

मेरे हुस्न को बयाँ कुछ यूँ तेरी आँखों ने किया
उठा कर मेरे सीने में एक लहर,फिर किनारा तूने किया

तेरी बेख़ुदी के मारे हम,हर शाम तन्हा निकलते हैं
एक झलक को तेरी साहिर,हर रोज़ मुसाफिर गुज़रते हैं

तेरी याद में लिपटी मेरी साँसें,कहने को हरदम चलती हैं
जी लेने को तेरे संग,ये पल पल मरतीं रहती हैं

49 thoughts on “तेरी याद में

  1. Nice Sharing Ma’am…..
    “अपनी ख्वाहिशों को पूरी करने की सौचो,
    फिर देखो जलते दिए कैसे जगमगा उठते हैं.!
    तेरे हुस्न को बयाँ हर आँख ने किया,
    तेरी चाहतों ने फिर भी सबको बेसहारा है किया.!
    अपनी बेखुदी को तन्हाई से ना जोड़,
    तुझसे मिलने को’सागर’तेरी गली से रोज़ निकलते.!
    तेरी याद मेरी ज़िंदगी मेरी याद तेरी,
    तेरे साथ की चाहा में हर रोज़ तेरा इंतज़ार हैं करते.!”

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      1. कुछ बातें ऐसी होती सब के सामने बताई नहीं जाती,
        जैसे रूठी हुई कुड़ी ज़ग सामने मनाई नहीं जाती.!
        अज़ी खफा होता ज़माना हुआ करे’सागर’की बला से,
        दिल की लगी मेहबूब सिवा और को बताई नहीं जाती.!!

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  2. तेरी यादों में ज़िंदगी की हर शाम बितानी होगी.!
    क्या इसी तरहा बची ज़िंदगी अब गुज़ारनी होगी.!!
    जब जी चाहे आना कुछ कहना फिर छिप जाना.!
    क्या यूँही’सागर’कोज़ुस्तज़ु में आँख बिछानी होगी.!!

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      1. Kisi publisher se milke ya aapke sir ya guide honge unki sahaayata se.vese sahi rasta mujhe bhi nahi pata.mere saath kaam karne waala ek lect.kah raha thaa ki vo meri book publish karwaayega.aage bhagwaan jaane.

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      2. That’s tragic that I don’t have any teacher to guide me.
        But I have made some valuable friends through WordPress who guide me always.
        Thanks for concern😘😘

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